One Nation One Subscription Yojana: केंद्र सरकार पूरी दुनिया के सभी जरूरी ग्लोबल साइंटिफिक जर्नल का एक सब्सक्रिप्शन लेगी. उसका एक्सेस सभी छात्रों, शोधकर्ताओं, फैकल्टी व विज्ञानियों को यूजीसी के इन्फिलबनेट (इंफॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क) के माध्यम से दिया जाएगा. इससे लगभग 1.8 करोड़ लोग सभी 13 हजार जर्नल फ्री पढ़ पाएंगे. ONOS योजना के जरिये केंद्र का लक्ष्य सभी सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जर्नल एक्सेस के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण को एक जगह लाना है.
1 जनवरी 2025 से लागू होगी योजना
ONOS राज्य और केंद्र सरकार के उच्च शिक्षा संस्थानों को एक ही स्टेज पर हजारों जर्नल एक्सेस करने में सक्षम बनाएगा. यह स्कीम 1 जनवरी, 2025 से लागू होने जा रही है. सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, ये ओएनओएस योजना देश के 6300 सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों में 1.8 करोड़ छात्रों, फैकल्टी व रिसर्चर्स के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है. विशेष तौर से टियर 2 और टियर 3 शहरों के छात्रों को बड़ा फायदा मिल सकता है.
योजना के तहत मिलेगा सत प्रतिशत एक्सेस
वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन से उन्हें फायदा होगा जो पीएचडी कर रहे हैं या किसी शोध में लगे हुए है. वेब की ऑफ साइंस प्लेटफॉर्म के अनुसार , अभी दुनिया के करीब 53% साइंटिफिक जर्नल ही ओपन एक्सेस में उपलब्ध हैं और एक अवधि के बाद ज्यादातर अनुपलब्ध हो जाते हैं, लेकिन इस योजना से शत प्रतिशत असीमित एक्सेस मिलेगा. आईआईएम-मुंबई के एक अध्ययन के अनुसार , इस योजना से रिसर्च लागत में 18% तक की कमी आएगी.
तीन चरण में दी जाएगी यह सुविधा
पायलट प्रोजेक्ट में देखा गया कि बिना योजना लागू किए 56.7 लाख छात्र, शोधकर्ता व फैकल्टी जर्नल पढ़ रहे थे मगर जब यह एक्सेस दी गई तो यूजर्स बढ़कर 177.82 लाख हो गए. पहले 2.360 संस्थानों में 8,079 जर्नल पढ़े जा रहे थे लेकिन एक्सेस मिलतेही 6,316 संस्थानों में 12,957 जर्नल पढ़े जाने लगे. यह सुविधा 3 चरण में प्रदान की जाएगी. पहला चरण अप्रैल 2025 से शुरू किया जाएगा.
हर साल खर्च किए जाएंगे 2000 करोड रुपए
इसमें केंद्रीय और राज्य स्तर के उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय अनुसंधान संस्थानों से जुड़े छात्रों को एक्सेस प्रदान किया जाएगा. दूसरे चरण की शुरुआत अप्रैल 2026 से होगी जिसमें बाकी संस्थानों को इसकी एक्सेस मिलेगी. अप्रैल 2027 तक सभी लाइब्रेरी में यह एक्सेस उपलब्ध हो जाएगी. इस योजना के लिए सरकार ने 2025 से अगले तीन साल के लिए 6 हजार करोड़ रु. को स्वीकृति दी हैं. यानी हर साल 2 हजार करोड़ खर्च किये जायेंगे. सरकार ने दुनियाभर में 85% जर्नल प्रकाशित करने वाले 30 प्रकाशकों को इसमें शामिल किया है. वही आपको बता दें कि लगभग इतने ही अन्य प्रकाशकों से बातचीत चल रही है.